the Second Week after Easter
Click here to join the effort!
Read the Bible
पवित्र बाइबिल
1 कुरिन्थियों 8
1 अब मूरतों के साम्हने बलि की हुई वस्तुओं के विषय में हम जानते हैं, कि हम सब को ज्ञान है: ज्ञान घमण्ड उत्पन्न करता है, परन्तु प्रेम से उन्नति होती है।2 यदि कोई समझे, कि मैं कुछ जानता हूं, तो जैसा जानना चाहिए वैसा अब तक नहीं जानता।3 परन्तु यदि कोई परमेश्वर से प्रेम रखता है, तो उसे परमेश्वर पहिचानता है।
4 सो मूरतों के साम्हने बलि की हुई वस्तुओं के खाने के विषय में हम जानते हैं, कि मूरत जगत में कोई वस्तु नहीं, और एक को छोड़ और कोई परमेश्वर नहीं।5 यद्यपि आकाश में और पृथ्वी पर बहुत से ईश्वर कहलाते हैं, (जैसा कि बहुत से ईश्वर ओर बहुत से प्रभु हैं)।6 तौभी हमारे निकट तो एक ही परमेश्वर है: अर्थात पिता जिस की ओर से सब वस्तुएं हैं, और हम उसी के लिये हैं, और एक ही प्रभु है, अर्थात यीशु मसीह जिस के द्वारा सब वस्तुएं हुईं, और हम भी उसी के द्वारा हैं।
7 परन्तु सब को यह ज्ञान नही; परन्तु कितने तो अब तक मूरत को कुछ समझने के कारण मूरतों के साम्हने बलि की हुई को कुछ वस्तु समझकर खाते हैं, और उन का विवेक निर्बल होकर अशुद्ध होता है।8 भोजन हमें परमेश्वर के निकट नहीं पहुंचाता, यदि हम न खांए, तो हमारी कुछ हानि नहीं, और यदि खाएं, तो कुछ लाभ नहीं।9 परन्तु चौकस रहो, ऐसा न हो, कि तुम्हारी यह स्वतंत्रता कहीं निर्बलों के लिये ठोकर का कारण हो जाए।10 क्योंकि यदि कोई तुझ ज्ञानी को मूरत के मन्दिर में भोजन करते देखे, और वह निर्बल जन हो, तो क्या उसके विवेक में मूरत के साम्हने बलि की हुई वस्तु के खाने का हियाव न हो जाएगा।11 इस रीति से तेरे ज्ञान के कारण वह निर्बल भाई जिस के लिये मसीह मरा नाश हो जाएगा।12 सो भाइयों का अपराध करने से ओर उन के निर्बल विवेक को चोट देने से तुम मसीह का अपराध करते हो।13 इस कारण यदि भोजन मेरे भाई को ठोकर खिलाए, तो मैं कभी किसी रीति से मांस न खाऊंगा, न हो कि मैं अपने भाई के ठोकर का कारण बनूं।