Lectionary Calendar
Saturday, August 2nd, 2025
the Week of Proper 12 / Ordinary 17
Attention!
StudyLight.org has pledged to help build churches in Uganda. Help us with that pledge and support pastors in the heart of Africa.
Click here to join the effort!

Read the Bible

पवित्र बाइबिल

एस्तेर 9

1 अदार नाम बारहवें महीने के तेरहवें दिन को, जिस दिन राजा की आज्ञा और नियम पूरे होने को थे, और यहूदियों के शत्रु उन पर प्रबल होने की आशा रखते थे, परन्तु इसके उलटे यहूदी अपने बैरियों पर प्रबल हुए, उस दिन,2 यहूदी लोग राजा क्षयर्ष के सब प्रान्तों में अपने अपने नगर में इकट्ठे हुए, कि जो उनकी हानि करने का यत्न करे, उन पर हाथ चलाए। और कोई उनका साम्हना न कर सका, क्योंकि उनका भय देश देश के सब लोगों के मन में समा गया था।3 वरन प्रान्तों के सब हाकिमों और अधिपतियों और प्रधानों और राजा के कर्मचारियों ने यहूदियों की सहायता की, क्योंकि उनके मन में मोर्दकै का भय समा गया था।4 मोर्दकै तो राजा के यहां बहुत प्रतिष्ठित था, और उसकी कीर्ति सब प्रान्तों में फैल गई; वरन उस पुरुष मोर्दकै की महिमा बढ़ती चली गई।5 और यहूदियों ने अपने सब शत्रुओं को तलवार से मार कर और घात कर के नाश कर डाला, और अपने बैरियों से अपनी इच्छा के अनुसार बर्ताव किया।6 और शूशन राजगढ़ में यहूदियों ने पांच सौ मनुष्यों को घात कर के नाश किया।7 और उन्होंने पर्शन्दाता, दल्पोन, अस्पाता,8 पोराता, अदल्या, अरीदाता,9 पर्मशता, अरीसै, अरीदै और वैजाता,10 अर्थात हम्मदाता के पुत्र यहूदियों के विरोधी हामान के दसों पुत्रों को भी घात किया; परन्तु उनके धन को न लूटा।11 उसी दिन शूशन राजगढ़ में घात किए हुओं की गिनती राजा को सुनाई गई।12 तब राजा ने एस्तेर रानी से कहा, यहूदियों ने शूशन राजगढ़ ही में पांच सौ मनुष्य और हामान के दसों पुत्रों को भी घात कर के नाश किया है; फिर राज्य के और और प्रान्तों में उन्होंने न जाने क्या क्या किया होगा! अब इस से अधिक तेरा निवेदन क्या है? वह भी पूरा किया जाएगा। और तू क्या मांगती है? वह भी तुझे दिया जाएगा।13 एस्तेर ने कहा, यदि राजा को स्वीकार हो तो शूशन के यहूदियों को आज की नाईं कल भी करने की आज्ञा दी जाए, और हामान के दसों पुत्र फांसी के खम्भें पर लटकाए जाएं।14 राजा ने कहा, ऐसा किया जाए; यह आज्ञा शूशन में दी गई, और हामान के दसों पुत्र लटकाए गए।15 और शूशन के यहूदियों ने अदार महीने के चौदहवें दिन को भी इकट्ठे हो कर शूशन में तीन सौ पुरुषों को घात किया, परन्तु धन को न लूटा।16 राज्य के और और प्रान्तों के यहूदी इकट्ठे हो कर अपना अपना प्राण बचाने के लिये खड़े हुए, और अपने बैरियों में से पचहत्तर हजार मनुष्यों को घात कर के अपने शत्रुओं से विश्राम पाया; परन्तु धन को न लूटा।17 यह अदार महीने के तेरहवें दिन को किया गया, और चौदहवें दिन को उन्होंने विश्राम कर के जेवनार की और आनन्द का दिन ठहराया।18 परन्तु शूशन के यहूदी अदार महीने के तेरहवें दिन को, और उसी महीने के चौदहवें दिन को इकट्ठे हुए, और उसी महीने के पन्द्रहवें दिन को उन्होंने विश्राम कर के जेवनार का और आनन्द का दिन ठहराया।19 इस कारण देहाती यहूदी जो बिना शहरपनाह की बस्तियों में रहते हैं, वे अदार महीने के चौदहवें दिन को आनन्द ओर जेवनार और खुशी और आपस में बैना भेजने का दिन नियुक्त कर के मानते हैं।

20 इन बातों का वृत्तान्त लिखकर, मोर्दकै ने राजा क्षयर्ष के सब प्रान्तों में, क्या निकट क्या दूर रहने वाले सारे यहूदियों के पास चिट्ठियां भेजीं,21 और यह आज्ञा दी, कि अदार महीने के चौदहवें और उसी महीने के पन्द्रहवें दिन को प्रति वर्ष माना करें।22 जिन में यहूदियों ने अपने शत्रुओं से विश्राम पाया, और यह महीना जिस में शोक आनन्द से, और विलाप खुशी से बदला गया; (माना करें) और उन को जेवनार और आनन्द और एक दूसरे के पास बैना भेजने ओर कंगालों को दान देने के दिन मानें।23 और यहूदियों ने जैसा आरम्भ किया था, और जैसा मोर्दकै ने उन्हें लिखा, वैसा ही करने का निश्चय कर लिया।24 क्योंकि हम्मदाता अगागी का पुत्र हामान जो सब यहूदियों का विरोधी था, उसने यहूदियों के नाश करने की युक्ति की, और उन्हें मिटा डालने और नाश करने के लिये पूर अर्थात चिट्ठी डाली थी।25 परन्तु जब राजा ने यह जान लिया, तब उसने आज्ञा दी और लिखवाई कि जो दुष्ट युक्ति हामान ने यहूदियों के विरुद्ध की थी वह उसी के सिर पर पलट आए, तब वह और उसके पुत्र फांसी के खम्भों पर लटकाए गए।26 इस कारण उन दिनों का नाम पूर शब्द से पूरीम रखा गया। इस चिट्ठी की सब बातों के कारण, और जो कुछ उन्होंने इस विषय में देखा और जो कुछ उन पर बीता था, उसके कारण भी27 यहूदियों ने अपने अपने लिये और अपनी सन्तान के लिये, और उन सभों के लिये भी जो उन में मिल गए थे यह अटल प्रण किया, कि उस लेख के अनुसार प्रति वर्ष उसके ठहराए हुए समय में वे ये दो दिन मानें।28 और पीढ़ी पीढ़ी, कुल कुल, प्रान्त प्रान्त, नगर नगर में ये दिन स्मरण किए और माने जाएंगे। और पूरीम नाम के दिन यहूदियों में कभी न मिटेंगे और उनका स्मरण उनके वंश से जाता न रहेगा।29 फिर अबीहैल की बेटी एस्तेर रानी, और मोर्दकै यहूदी ने, पूरीम के विषय यह दूसरी चिट्ठी बड़े अधिकार के साथ लिखी।30 इसकी नकलें मोर्दकै ने क्षयर्ष के राज्य के, एक सौ सत्ताईसों प्रान्तों के सब यहूदियों के पास शान्ति देने वाली और सच्ची बातों के साथ इस आशय से भेजीं,31 कि पूरीम के उन दिनों के विशेष ठहराए हुए समयों में मोर्दकै यहूदी और एस्तेर रानी की आज्ञा के अनुसार, और जो यहूदियों ने अपने और अपनी सन्तान के लिये ठान लिया था, उसके अनुसार भी उपवास और विलाप किए जाएं।32 और पूरीम के विष्य का यह नियम एस्तेर की आज्ञा से भी स्थिर किया गया, और उनकी चर्चा पुस्तक में लिखी गई।

 
adsfree-icon
Ads FreeProfile